देहादेवलि जो वसइ सत्तिहिं सहियउ देउ ।
को तहिं जोइय सत्तिसिउ सिगधु गवेसहि भेउ ॥53॥
अन्वयार्थ :
देहरूपी देवालय में जो शक्ति-सहित देव वास करता है, हे योगी ! वह शक्तिमान शिव कौन है ? इस भेद को तू शीघ्र ढूँढ ।