जोइय हियडइ जासु पर एकु जि णिवसइ देउ ।
जम्मणमरणविवज्जियउ तो पावद परलोउ ॥76॥
अन्वयार्थ : हे योगी ! जिसके हृदय में जन्म-मरण से रहित एक परमदेव निवास करता है, वह नरलोक (सिद्ध पद) को प्राप्त करता है ।