एकः परिणमति सदा परिणामो जायते सदैकस्य ।
एकस्य परिणतिः स्यादनेकमप्येकमेव यतः ॥52॥
अन्वयार्थ : [एकः परिणमति सदा] वस्तु एक ही सदा परिणमित होती है, [एकस्य सदा परिणामः जायते] एक का ही सदा परिणाम होता है और [एकस्य परिणतिः स्यात्] एक की ही परिणति -- क्रिया होती है; [यतः] क्योंकि [अनेकम् अपि एकम् एव] अनेकरूप होने पर भी एक ही वस्तु है, भेद नहीं है ।