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नोभौ परिणमतः खलु परिणामो नोभयोः प्रजायेत ।
उभयोर्न परिणतिः स्याद्यदनेकमनेकमेव सदा ॥53॥
अन्वयार्थ : [न उभौ परिणमतः खलु] दो द्रव्य एक होकर परिणमित नहीं होते, [उभयोः परिणामः न प्रजायेत] दो द्रव्यों का एक परिणाम नहीं होता और [उभयोः परिणति न स्यात्] दो द्रव्यों की एक परिणति – क्रिया नहीं होती; [यत्] क्योंकि जो [अनेकम् सदा अनेकम् एव] अनेक द्रव्य हैं सो सदा अनेक ही हैं, वे बदलकर एक नहीं हो जाते ।