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अज्ञानमयभावानामज्ञानी व्याप्य भूमिकाम् ।
द्रव्यकर्मनिमित्तानां भावानामेति हेतुताम् ॥68॥
अन्वयार्थ : [अज्ञानी] अज्ञानी [अज्ञानमयभावानाम् भूमिकाम्] अज्ञानमय भावों की भूमिका में [व्याप्य] व्याप्त होकर [द्रव्यकर्मनिमित्तानां भावानाम्] द्रव्यकर्म के निमित्त जो भाव उनके [हेतुताम् एति] हेतुत्व को प्राप्त होता है ।