(अनुष्टुभ्)
विकल्पकः परं कर्ता विकल्पः कर्म केवलम् ।
न जातु कर्तृकर्मत्वं सविकल्पस्य नश्यति ॥95॥
अन्वयार्थ : [विकल्पकः परं कर्ता] विकल्प करनेवाला ही केवल कर्ता है और [विकल्पः केवलम् कर्म] विकल्प ही केवल कर्म है; (अन्य कोई कर्ता-कर्म नहीं है;) [सविकल्पस्य] जो जीव विकल्पसहित है उसका [कर्तृकर्मत्वं] कर्ताकर्मपना [जातु] कभी [नश्यति न]नष्ट नहीं होता ।