+ शुद्ध चिद्रूप का लक्षण -
पश्यत्यवैति विश्वं युगपन्नोकर्मकर्मणामणुभिः ।
अखिलैर्मुक्तो योऽसौ विज्ञेयः शुद्धचिद्रूपः ॥2॥
युगपत् सकल जग जानता, है देखता सबसे पृथक् ।
नोकर्म कर्म अणु सभी से, जान शुद्ध चिद्रूप वह ॥२॥
अन्वयार्थ : जो समस्त जगत को एक साथ देखने जानने वाला है, नोकर्म और कर्म के परमाणुओं (वर्गणाओं) से रहित है वही शुद्धचिद्रूप है ।