+ चित् रूप के स्मरण की विशेषता -
बीजं मोक्षतरोर्भवार्णवतरी दुःखाटवीपावको
दुर्गं कर्मभियां विकल्परजसां वात्यागसां रोधनं ।
शस्त्रं मोहजये नृणामशुभतापर्यायरोगौषधं
चिद्रूपस्मरणं समस्ति च तपोविद्यागुणानां गृहं ॥2॥
चिद्रूप का यह स्मरण, नित मोक्षतरु का बीज है ।
नित भवोदधि से पार होने हेतु नौका अनल है॥
दुखरूप वन को भस्म करने, सुरक्षित दृढ़ किला है ।
नित कर्म से भयभीत को, सब पापरोधक अनिल है ॥
नित विकलता रज उड़ाने को, मोह भट को जीतने ।
हेतु सुशस्त्र अशुभमयी पर्यायव्याधि मेटने ॥
है परम औषधि तपो विद्या गुणों का गृह एक ही ।
चिद्रूप का यह मनन घोलन, अत: नित रमना यहीं ॥२.२॥
अन्वयार्थ : यह शुद्धचिद्रूप का स्मरण मोक्ष का बीज है । संसाररूपी समुद्र से पार होने के लिए नौका है । दुख:रूपी भयंकर वन के लिये दावानल है । कर्मों से भयभीत मनुष्यों के लिये सुरक्षित सुदृढ़ किला है । विकल्परूपी रज के उड़ने के लिये पवन का समूह है । पापों का रोकने वाला है । मोहरूप सुभट के जीतने के लिये शस्त्र है। नरक आदि अशुभ पर्यायरूपी रोगों के नाश करने के लिये उत्तम अव्यर्थ औषध है एवं तप, विद्या और अनेक गुणों का घर है ।