+ शुद्ध चित् रूप का स्मरण सदा करने की प्रेरणा -
तं चिद्रूपं निजात्मानं स्मर शुद्ध प्रतिक्षणं ।
यस्य स्मरणमात्रेण सद्यः कर्मक्षयो भवेत् ॥13॥
वह निजात्मा चिद्रूप शुद्ध, प्रतिक्षण ध्याओ सदा ।
इसमें मगनता से सभी, कर्मों का क्षय हो ही सदा ॥२.१३॥
अन्वयार्थ : हे आत्मन् ! स्मरण करते ही समस्त कर्मों के नाश करने वाले शद्धचिद्रूप का तू प्रतिक्षण स्मरण कर क्योंकि शुद्धचिप और स्वात्मा में कोई भेद नहीं है ।