+ कर्म-जनित पर्याय को जीव कहना उपचार -
अत्थित्ति पुणो भणिया णएण ववहारिएण ए सव्वे ।
णोकम्म-कम्मणादी पज्जाया विविह-भेय-गया ॥22॥
विविध भाँति पुदगल परजाय, देह आदि भाषी जिनराय ।
चेतन की कहियै व्योहार, निहचैं भिन्न-भिन्न निरधार ॥22॥
अन्वयार्थ : [पुणो] पुनः [ववहारिएण णएण] व्यावहारिक नय से [विविहभेयगया] अनेक भेद-गत [ए सव्वे] ये सर्व [णोकम्मकम्मणादी] नोकर्म और कर्म-जनित [पज्जाया] पर्याय [अत्थित्ति] जीव के हैं, ऐसा [भणिया] कहा गया है।