+ उदाहरण -
जह जह मणसंचारा इंदियविसया वि उवसमं जंति ।
तह तह पयडइ अप्पा अप्पाणं जह णहे सूरो ॥30॥
अंबर घन फट प्रगट रवि, भूपर करै उदोत ।
विषय कषाय घटावतैं, जिय प्रकास जग होत ॥30॥
अन्वयार्थ : [जह जह] जैसे जैसे, [मणसंचारा] मन का संचार और [इंदियविसया वि] इन्द्रियों के विषय भी [उवसम] उपशमभाव को [जंति] प्राप्त होते हैं, [तह तह] वैसे वैसे ही [अप्पा] अपना आत्मा [अप्पाणं] अपने शुद्धस्वरूप को [पयडइ] प्रकट करता है, [जह] जैसे [णहे] आकाश में [सूरो] सूर्य।