सयल-वियप्पे थक्के उप्पज्जइ को वि सासओ भावो ।
जो अप्पणो सहावो मोक्खस्स य कारणं सो खु ॥61॥
सब संकल्प विकल्प विहंड, प्रगटै आतमजोति अखण्ड ।
अविनासी सिवकौ अंकूर, सो लखि साध करमदल चूर ॥61॥
अन्वयार्थ : [सयलवियप्पे] समस्त विकल्पों के [थक्के] रुक जाने पर [कोवि] कोई अद्वितीय [सासओ] शाश्वत-नित्य [भावो] भाव [उप्पज्जइ] उत्पन्न होता है [जो] जो [अप्पणो] आत्मा का [सहावो] स्वभाव है; [सो] वह [खु] निश्चय से [मोक्खस्स य] मोक्ष का [कारणं] कारण है।