णिहए राए सेण्णं णासइ सयमेव गलियमाहप्पं ।
तह णिहयमोहराए गलंति णिस्सेसघाईणि ॥65॥
जैसे भूप नसैं सब सैन, भाग जाइ न दिखावै नैन ।
तैसे मोह नास जब होय, कर्मघातिया रहै न कोय ॥65॥
अन्वयार्थ : [राए] राजा के [णिहए] मारे जाने पर जैसे [गलियमाहप्पं] जिसका माहात्म्य गल गया है ऐसी [सेण्णं] सेना [सयमेव] स्वयं ही [णासइ] नष्ट हो जाती है, [तह] उसी प्रकार [णिहयमोहराए] मोहराजा के नष्ट हो जाने पर [णिस्सेसघाईणि] समस्त घातिया-कर्म [गलंति] स्वयं ही गल जाते हैं।