+ सम्यक्त्व का माहात्म्य -
लद्धूण य मणुयत्तं सहियं तह उत्तमेण गोत्तेण
लद्धूण य सम्मत्तं अक्खयसोक्खं च मोक्खं च ॥34॥
लब्ध्वा च मनुजत्वं सहितं तथा उत्तमेन गोत्रेण ।
लब्ध्वा च सम्यक्त्वं अक्षयसुखं च मोक्षं च ॥३४॥
प्राप्तकर नरदेह उत्तम कुल सहित यह आतमा ।
सम्यक्त्व लह मुक्ति लहे अर अखय आनन्द परिणमे ॥३४॥
अन्वयार्थ : जो [मणुयत्तं] मनुष्य जन्म, [उत्तमेण] उत्तम [गुत्तेण] गोत्र (कुल) की प्राप्ति अत्यंत दुर्लभ विचार [सहियं] सहित [सम्मत्तं] सम्यक्त्व [य] और ज्ञान [लद्धूण] प्राप्त करता है वह [अक्खय] अक्षय / अविनाशी अनन्त [सुक्खं] सुख [च] एवम [मोकखं] मोक्ष प्राप्त करता है ।

  जचंदछाबडा 

जचंदछाबडा :

यह सब सम्यक्त्व का माहात्म्य है ॥३४॥