+ महाव्रतों के नाम -
हिंसाविरदी सच्चं अदत्तपरिवज्जणं च बंभं च
संगविमुत्ती य तहा महव्वया पञ्च पण्णत्ता ॥4॥
अन्वयार्थ : [हिंसाविरदी] हिंसा का त्याग, [सच्चं] सत्य, [अदत्तपरिवज्जणं] चोरी का त्याग, [बंभं च] और ब्रह्मचर्य [संगविमुत्ती य] और परिग्रह-त्याग [तहा महव्वया पंच पण्णत्ता] ये पाँच महाव्रत कहे गये हैं ।