गामादिसु पडिदाइं अप्पप्पहुदिं परणे संगहिदं
णादाणं परदव्वं अदत्तपरिवज्जणं तं तुं ॥7॥
अन्वयार्थ : [गामादिसु पडिदाइं] ग्राम आदिक में पड़ा हुआ, [अप्पप्पहुदिं] भूला हुआ, रखा हुआ इत्यादि रूप से अल्प भी स्थूल सूक्ष्म वस्तु को [परेण संगहिदं] दूसरे के द्वारा इकट्ठा किया हुआ ऐसे [णादाणं परदव्वं] पर-द्रव्य को ग्रहण नहीं करना [अदत्तपरिवज्जणं तं तु] वह अदत्तत्याग है ।