
एगंते अच्चित्ते दूरे गूढे विसालमविरोहे
उच्चरादिच्चाओ पदिठावणिया हवे समिदी ॥15॥
अन्वयार्थ : [एगंते] एकांत, [अच्चित्ते] अचित्त , [दूरे] दूर-स्थित, [गूढे] गूढ़ , [विसालमविरोहे] विशाल और विरोध-रहित स्थान में [उच्चरादिच्चाओ] सावधानी पूर्वक मल-मूत्रादिक का विसर्जन [पदिठावणिया] प्रतिष्ठापन [हवे समिदी] समिति है।