
चक्खू सोदं घाणं जिब्भा फासं च इंदिया पंच
सगसगविसएहिंतो णिरोहियव्वा सया मुणिणा ॥16॥
अन्वयार्थ : [चक्खू] चक्षु, [सोदं] कर्ण, [घाणं] घ्राण, [जिब्भा] जिह्वा [फासं च] और स्पर्शन इन [इंदिया पंच] पाँच इन्द्रियों को [सगसगविसएहिंतो] अपने विषय में [मुणिणा] मुनियों का [सया] हमेशा [णिरोहियव्वा] नियंत्रण इन्द्रिय निरोध व्रत है ।