+ सामायिक -
जीविदमरणे लाभालाभे संजोयविप्पओगे य
बंधुरिसुहदुक्खादिसु समदा सामाइयं णाम ॥23॥
अन्वयार्थ : जीवन मरण में, लाभ-अलाभ में, संयोग-वियोग में, मित्र-शत्रु में, सुख-दु:ख इत्यादि में समभाव होना सामायिक नाम का व्रत है।