+ प्रत्याख्यान -
णामादीणं छण्हं अजोगपरिवज्जणं तियरणेण
पच्चक्खाणं णेयं अणागयं चागमे काले ॥27॥
अन्वयार्थ : अनागत आगत काल में आने वाले नाम, स्थापना आदि छहों अयोग्य का मन वचन काय से वर्जन करना प्रत्याख्यान कहलाता है।