+ कायोत्सर्ग -
देवस्सियणियमादिसु जहुत्तमाणेण उत्तकालम्हि
जिणगुणिंचतजुत्तो काउस्सग्गो तणुविसग्गो ॥28॥
अन्वयार्थ : दैवसिक आदि नियमों में, शास्त्र में कथित समयों में जो जिनेन्द्र-देव के गुणों के चिन्तन सहित, शरीर से ममत्व का त्याग किया जाता है, उसका नाम कायोत्सर्ग है।