+
लोच मूलगुण
-
वियतियचउक्कमासे लोचो उक्कस्समज्झिमजहण्णो
सपडिक्कमणे दिवसे उववासेणेव कायव्वो ॥29॥
अन्वयार्थ :
प्रतिक्रमण सहित दिवस में, दो तीन या चार मास में उत्तम मध्यम या जघन्य रूप लोच उपवासपूर्वक ही करना चाहिए। लोच मौनपूर्वक कहते हैं।