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किनकी गर्हा करनी चाहिए
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सत्त भय अट्ठ मए सण्णा चत्तारि गारवे तिण्णि
तेत्तीसाच्चासणाओ रायद्दोसं च गरिहामि ॥52॥
अन्वयार्थ :
सात भय, आठ मद, चार संज्ञा, तीन गारव, तैंतीस आसादना तथा राग और द्वेष इन सबकी मैं गर्हा करता हूँ ।