+ आसादना -
पंचेव अत्थिकाया छज्जीवणिकाय महव्वया पंच
पवयणमाउपयत्था तेतीसच्चासणा भणिया ॥54॥
अन्वयार्थ : आसादनायें ३३ होती हैं । पाँच अस्तिकाय-जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश पृथ्वीकायिक आदि छ: जीव निकाय, पाँच महाव्रत पाँच समिति और तीन गुप्ति ये आठ प्रवचन मातृका । जीव, अजीव, आस्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा, मोक्ष, पुण्य और पाप से नव पदार्थ हैं। इस प्रकार ये तैंतीस आसादनायें हैं ।