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क्षमायाचना
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रागेण य दोसेण य जं मे अकदण्हुयं पमादेण
जो मे किंचिवि भणिओ तमहं सव्वं खमावेमि ॥58॥
अन्वयार्थ :
जो मैंने राग से अथवा द्वेष से न करने योग्य कार्य किया है, प्रमाद से जिसके प्रति कुछ भी कहा है उन सबसे मैं क्षमायाचना करता हूँ ।