+ मरण के भेद -
तिविहं भणंति मरणं बालाणं बालपंडियाणं च
तइयं पंडियमरणं जं केवलिणो अणुमरंति ॥59॥
अन्वयार्थ : मरण के तीन भेद हैं-बालमरण, बालपण्डितमरण और पण्डितमरण। असंयतसम्यग्दृष्टि जीव बाल कहलाते हैं । इनका मरण बालमरण है । संयतासंयत जीव बालपण्डित कहलाते हैं क्योंकि एकेन्द्रिय जीवों के वध से विरत न होने से ये बाल हैं और द्वीन्द्रिय आदि जीवों के वध से विरत होने से पण्डित हैं इसलिए इनका मरण बालपण्डित मरण है । पण्डितों के मरण अर्थात् देह परित्याग अथवा शरीर का अन्यथा रूप होना पण्डितमरण है जिसके द्वारा केवल शुद्ध ज्ञान के धारी केवली भगवान मरण करते हैं ।