कंदप्पमाभिजोग्गं किव्विस संमोहमासुरंतं च ।
ता देवदुग्गईओ मरणम्मि विराहिए होंति ॥63॥
अन्वयार्थ :
मृत्यु के समय सम्यक्त्व का विनाश होने से कंदर्प, आभियोग्य, कैल्विष, संमोह और आसुर - ये पाँच देव दुर्गतियाँ होती हैं ।