
जे पुण गुरुपडिणीया बहुमोहा ससबला कुसीला य
असमाहिणा मरंते ते होंति अणंतसंसारा ॥71॥
अन्वयार्थ : जो साधु गुरुओं की आज्ञा नहीं पालते हैं, मोही हैं, अतिचार सहित चारित्र पालते हैं, कुत्सित आचरण वाले हैं वे असमाधि से मरण करते हैं और अनन्त संसारी हो जाते हैं ।