+ बालमरण -
बालमरणाणि बहुसो बहुयाणि अकामयाणि मणाणि
मरिहंति ते वराया जे जिणवयणं ण जाणंति ॥73॥
अन्वयार्थ : जो जिनवचन को नहीं जानते हैं वे बेचारे अनेक बार बालमरण करते हुए अनेक प्रकार के अनिच्छित बाल-बाल मरणों से मरण करते रहेंगे ।