णाणं सरणं मे दंसणं च सरणं चरियसरणं च
तव संजमं च सरणं भगवं सरणो महावीरो ॥96॥
अन्वयार्थ :
मरण समय में ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप ये ही मेरे रक्षक हैं और इनके उपदेष्टा भगवान महावीर ही मेरे रक्षक हैं ।