वीरो जरमरणरिऊ वीरो विण्णाणणाण संपण्णो
लोगस्सुज्जोययरो जिणवरचंदो दिसदुबोधिं ॥106॥
अन्वयार्थ : वीर भगवान ज्ञान, दर्शन, चारित्र से सम्पन्न हैं लोक का उद्योत करने वाले हैं, जरा-मरण को नष्ट करने वाले हैं, ऐसे हे वर्धमान भगवान मुझे बोधि-समाधि प्रदान करें ।