एदम्हि देशयाले उवक्कमो जीविदस्स जदि मज्झं।
एदं पच्चक्खाणं णित्थिण्णे पारणा हुज्ज ॥112॥
अन्वयार्थ :
यदि मेरा इस देश या काल में जीवन रहेगा तो इस प्रत्याख्यान की समाप्ति करके मेरी पारना होगी ।