सव्वं आहारविहिं पच्चक्खामि पाणयं वज्ज
उविंह च वोसरामि य दुविहं तिविहेण सावज्जं ॥113॥
अन्वयार्थ :
पेय पदार्थ को छोड़कर सम्पूर्ण आहार-विधि का मैं त्याग करता हूँ और मन-वचन-काय पूर्वक दोनों प्रकार की उपाधि का भी त्याग करता हूँ ।