णत्थि भयं मरणसमं जम्मणसमयं ण बिज्जदे दुक्खं
जम्मणमरणादंवं छिदि ममत्तिं सरीरादो ॥119॥
अन्वयार्थ : मरण के समान अन्य कोई भय नहीं है और जन्म के समान अन्य कोई दु:ख नहीं है अत: जन्म-मरण के कष्ट में निमित्त ऐसे शरीर के ममत्व को छोड़ो ।