पढमं सव्वदिचारं बिदियं तिविहं हवे पडिक्कमणं
णाणस्स परिच्चयणं जावज्जीवाय मुत्तमट्ठं च ॥120॥
अन्वयार्थ : पहला सर्वातिचार प्रतिक्रमण है । दूसरा त्रिविध आहार-त्याग प्रतिक्रमण है । यावज्जीवन पाँक आहार का त्यागना यह उत्तमार्थ नाम का तीसरा प्रतिक्रमण होता है ।