पंचवि इंदियमुंडा वचमुंडा हत्थपायमणमुंडा
तणुमुंडेण वि सहिया दस मुंडा वण्णिया समए ॥121॥
अन्वयार्थ :
पाँच इंद्रिय-मुण्डन, वचन-मुण्डन और शरीर-मुण्डन से सहित हस्त, पाद एवं मनो-मुण्डन ऐसे दस मुण्डन आगम में कहे गए हैं ।