+ इच्छाकार कब करते हैं ? -
संजमणाणुवकरण अण्णुवकरणे च जायणे अण्णे
जोगग्गहणादीसु य इच्छाकारो दु कादव्वो ॥131॥
अन्वयार्थ : संयम का उपकरण, ज्ञान का उपकरण और भी अन्य उपकरण के लिए तथा किसी वस्तु के माँगने में एवं योग ध्यान आदि के करने में इच्छाकार करना चाहिए । तथा अन्य और जो परविषय अर्थात् औषधि आदि हैं उनके लिए या अन्य साधु शिष्य आदि के भी उपर्युक्त वस्तुओं में इच्छाकार करना चाहिए । सर्वत्र शुभ अनुष्ठान में परिणाम करना चाहिए ।