
जं किंचि महाकज्जं करणीयं पुच्छिऊण गुरुआदी
पुणरवि पुच्छदि साहू तं जाणसु होदि पडिपुच्छा ॥136॥
अन्वयार्थ : मुनियों को यदि कोई बड़े कार्य का अनुष्ठान करना है तो गुरु, प्रवर्तक, स्थविर आदि से एक बार पूछकर पुनरपि गुरुओं से तथा साधुओं से पूछना प्रतिपृच्छा है ।