+ छन्दन समाचार कब करते हैं ? -
गहिदुवकरणे विणए वदणसुत्तत्थपुच्छणादीसु
गणधरवसहादीणं अणुवुिंत्त छंदणिच्छाए ॥137॥
अन्वयार्थ : संयम की रक्षा और ज्ञानादि के कारण ऐसे आचार्यों आदि के द्वारा दिये गये पिच्छी, पुस्तक आदि को लेने पर विनय के समय, वन्दना के समय, सूत्र के अर्थ का प्रश्न आदि करने में आचार्य आदि की इच्छा के अनुकूल प्रवृत्ति करना छन्दन नामक समाचार है ।