+ निमन्त्रणा समाचार कब करते हैं ? -
गुरुसाहम्मियदव्वं पुच्छयमण्णं च गेणिहदुं इच्छे
तेसिं विणयेण पुणो णिमंतणा होइ कायव्वा ॥138॥
अन्वयार्थ : गुरु और अन्य संघस्थ साधुओं से यदि पुस्तक या कमण्डल आदि लेने की इच्छा हो तो नम्रतापूर्वक पुन: उनकी याचना करना अर्थात् पहले कोई वस्तु उनसे लेकर पुन: कार्य हो जाने पर वापस दे दी है और पुन: आवश्यकता पड़ने पर याचना करना सो निमन्त्रणा है ।