+ विनयोसंपत् किस प्रकार कहते हैं ? -
पाहुणविणउवचारो तेसिं चावासभूमिसंपुच्छा
दाणाणुवत्तवादीं विणये उपसंपया णेया ॥140॥
अन्वयार्थ : आगन्तुक साधु को प्राहूणिक या पादोष्ण कहते हैं । उनका अंगमर्दन करना, प्रिय वचन बोलना आदि विनय है । उन्हें आसन आदि देना उपचार है ।