
उवसंपया य सुत्ते तिविहा सुत्तत्थतदुभया चेव
एक्केक्का विय तिविहा लोइय वेदे तहा समये ॥144॥
अन्वयार्थ : सूत्र विषयक उपसंपत् तीन प्रकार का है । सूत्रोपसंपत् अर्थोपसंपत् और सूत्रार्थोपसंपत् । सूत्रपठन में प्रयत्न करना यह सूत्रोपसंपत् है । अर्थग्रहण करने में प्रयत्न करना अर्थोपसंपत् है । सूत्र और अर्थ का अर्थात् दोनों का ग्रहण करना उभयसंपत् अर्थात् सूत्रार्थोपसंपत् है । इन तीन उपसंपत् के तीन-तीन भेद हैं । अर्थात् सूत्रोपसंपत् के तीन भेद हैं । अर्थोपसंपत् के तीन भेद हैं तथा सूत्रार्थोपसंपत् के तीन भेद हैं ।