+ स्वच्छंदी मुनि गुरुकुल में गच्छ में भी अन्य मुनि के साथ रहना चाहते हैं या नहीं ? -
गारविओ सिद्धी ओ माइल्लो अलसलुद्ध णिद्धम्मो
गच्छेवि संवसंतो णेच्छइ संघाडयं मंदो ॥153॥
अन्वयार्थ : जो गारव से सहित है, आहार से लम्पट है, मायाचारी है, आलसी है, लोभी है और धर्म से रहित है ऐसा शिथिल मुनि संघ में रहते हुए भी साधु समूह को नहीं चाहता है । क्योंकि मेरे सर्व-दोष प्रगट होंगे ऐसा समझकर स्वतंत्र रहना चाहता है ।