
आएसस्स तिरत्तं णियमा संघाडयो दु दायव्वो
किरियासंथारादिसु सहवासपरिक्खणाहेऊं ॥162॥
अन्वयार्थ : आए हुए मुनि को तीन दिवसपर्यन्त नियम से स्वाध्याय, वन्दना, प्रतिक्रमणादिक क्रियाओं में एक साथ रहकर सहाय देना चाहिए । षडावश्यक क्रिया, आहार, निहार-शौच को जाना क्रियाओं में सहाय करना चाहिए ।