
आगंतुकणामकुलं गुरुदिक्खामाणवरिसवासं च
आगमणदिसासिक्खापडिकमणादी य गुरुपुच्छा ॥166॥
अन्वयार्थ : तुम्हारो नाम क्या है ? तुम्हारी कुल-गुरु परम्परा कहा है ? तुम्हारे गुरु कौन हैं ? तुम्हें दीक्षा लिये कितने दिन हुए हैं ? तुमने वर्षायोग कितने और कहाँ-कहाँ किये हैं ?