+ और भी किन-किन के साथ वार्तालाप न करें -
कण्णं विधवं अंतेउरियं तह सइरिणी सिंलगं वा
अचिरेणाल्लियमाणो अववादं तत्थ पप्पोदि ॥182॥
अन्वयार्थ : मुनि कन्या, विधवा, रानी, स्वेच्छाचारिणी तथा तपस्विनी महिला का आश्रय लेता हुआ तत्काल ही उसमें अपवाद को प्राप्त हो जाता है ।