+ आर्यिकाओं के लिए क्या आदेश है ? -
एसो अज्जाणांपि अ सामाचारो जहक्खिओ पुव्वं
सव्वह्मि अहोरत्ते विभासिदव्वोजण्धाजोग्गं ॥187॥
अन्वयार्थ : पूर्व में जैसा समाचार कहा गया है वैसे ही यह समाचार आर्यिकाओं को भी सम्पूर्ण अहोरात्र में यथायोग्य करना चाहिए । वृक्षमूल, आतापन आदि योगों से रहित वही सम्पूर्ण समाचार विधि आचरित करनी चाहिए ।