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आर्यिकाएँ अपने आवास में कैसे रहती हैं ?
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अगिहत्थमिस्सणिलए असिण्णवाए विसुद्धसंचारे
दो तिण्णि व अज्जाओ बहुगीओ वा सहत्थंति ॥191॥
अन्वयार्थ :
जो गृहस्थों से मिश्रित न हो, जिसमें चोर आदि का आना-जाना न हो और जो विशुद्ध-संचरण के योग्य ऐसी वसतिका में दो या तीन या बहुत-सी आर्यिकाएँ साथ रहती हैं ।