+ आचार्य आदि की वन्दना आर्यिकाएँ किस प्रकार करती हैं ? -
पंच छ सत्त हत्थे सूरी अज्झावगो य साधू य
परिहरिऊणज्जाओ गवासणेणेव वंदंति ॥195॥
अन्वयार्थ : आर्यिकाएँ आचार्य को पाँच हाथ से, उपाध्याय को छह हाथ से और साधु को सात हाथ से दूर रहकर गवासन से ही वन्दना करती हैं ।