+ समाचार पालन करने का फल -
एवंविधाणचरियं चरितं जे साधवो य अज्जाओ
ते जगपुज्जं कित्तिं सुहं च लद्धूण सिज्झंति ॥196॥
अन्वयार्थ : उपर्युक्त विधानरूप चर्या का जो साधु और आर्यिकाएँ आचरण करते हैं वे जगत में पूजा को, यश को और सुख को प्राप्त कर सिद्ध हो जाते हैं ।